भगवान शंकर हमारे लोक पुराणों और वेदों में उल्लेख मिलता है और हमारे शास्त्रों में ही रुद्राभिषेक के बारे में लिखा गया है
( रुद्रम– दु:खम द्राव्यती–नास्यतितिरुद्र: ) अर्थात भगवान शंकर का रुद्राभिषेक ही दुखों को नष्ट करता है
भगवान शंकर का रुद्राभिषेक किए जाने से हर असंभव चीज को संभव बनाया जा सकता है सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा वह सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु ने जो कुछ लिखा है वही सत्य होगा परंतु भगवान शंकर की एकमात्र ऐसे भगवान हैं जो सृष्टि के लिखे को भी बदल सकते हैं और रावण इस बात को भलीभांति जानता था भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए बहुत ज्यादा जप और तपस्या किया करता था और सावन के महीने में भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करके बहुत सारे वरदान प्राप्त किया करता था यह जरूरी नहीं है रुद्राभिषेक में आप भगवान को दूध या पंचामृत स्नान कराएं आप अपनी मनपसंद चीज भगवान को भेंट स्वरूप दे सकते है
रावण कैसे कर लेता था भगवान शंकर को प्रसन्न
रावण जोकि तीनों लोक में रावण के बारे में एक बात कही जाती है मुझसा ज्ञानी मुझसा पंडित और कोई ना दूजा है अपने सीसो को काट काट के शंकर को मैंने पूजा है अर्थात रावण भगवान शंकर को अपना सिर काट के अपने रक्त से रुद्राभिषेक कराता था और अपने सर को हवन कुंड में डाल के भगवान शंकर की पूजा करता था जिससे भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उससे त्रिकालदर्शी और परम ज्ञानी की उपाधि दी थी रावण ने अपने दसों सिर को काट के उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया करता था तथा अपने सर को शिवलिंग की अग्नि में अर्पित कर दिया था
भस्मासुर भी करता था रुद्राभिषेक
भस्मासुर के बारे में आपने कहीं ना कहीं किसी न किसी के मुंह से सुना होगा कि भगवान शंकर को प्रसन्न करके भस्मासुर ने भगवान शंकर से ये वरदान मांगा था कि मैं जिसके सर पर हाथ रख वह इंसान भस्म हो जाए भगवान शंकर से ही वर मांग लेने के बाद भगवान शंकर के सर में ही हाथ रखने के लिए भस्मासुर हिमालय पहुंच गया था और सत्य तो यह है कि भस्मासुर भगवान शंकर का अभिषेक अपने आंसुओं से किया करता था तब जाकर भगवान शंकर भस्मासुर से प्रसन्न हो गए थे और भगवान शंकर कालसर्प योग गृह क्लेश व्यापार में नुकसान और शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी तरह रुकावट को भी दूर करने के लिए भगवान शंकर का रुद्राभिषेक किया जाता है जिसमें लोगों को बहुत ही अच्छे परिणाम मिले हैं