Sunday, March 31, 2024
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बजरंग बाण: Bajrang Baan Lyrics In Hindi, Download Pdf, भावार्थ सहित, जानिए पठन के 8 अद्भुत फायदे

Bajrang Baan Lyrics In Hindi:

बजरंग बाण ( Bajrang Baan ) तुलसीदास द्वारा रचित एक प्रसिद्ध हिंदू स्तुति है जो हनुमान जी को समर्पित है। आज के लेख में हम पवित्र Bajrang baan Lyrics पढेंगे। यह स्तुति भगवान हनुमान की महिमा, शक्ति और उनके अद्भुत गुणों का वर्णन करती है। बजरंग बाण के पाठ से मान्यता है कि यह रक्षा मंत्र हनुमान जी के भक्तों को भय और संकट से मुक्ति दिलाता है।

” दोहा “

“निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान।”

“तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥”

“चौपाई”

जय हनुमन्त सन्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।

जन के काज विलम्ब न कीजै।
आतुर दौरि महासुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा।
सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।

आगे जाई लंकिनी रोका।
मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा।
सीता निरखि परमपद लीन्हा।।

बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा।
अति आतुर जमकातर तोरा।।

अक्षयकुमार को मारि संहारा।
लूम लपेट लंक को जारा।।

लाह समान लंक जरि गई।
जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता।
आतुर होय दुख हरहु निपाता।।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर।
सुर समूह समरथ भटनागर।।

ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज प्रभु दास उबारो।।

ऊँकार हुंकार प्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा।
ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।

सत्य होहु हरि शपथ पाय के।
रामदूत धरु मारु जाय के।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा।
दुःख पावत जन केहि अपराधा।।

पूजा जप तप नेम अचारा।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।

पांय परों कर ज़ोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

जय अंजनिकुमार बलवन्ता।
शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।

बदन कराल काल कुल घालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर।
अग्नि बेताल काल मारी मर।।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की।
राखु नाथ मरजाद नाम की।।

जनकसुता हरिदास कहावौ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।

जय जय जय धुनि होत अकाशा।
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई।
पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।

ॐ चं चं चं चं चपत चलंता।
ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।

ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल।
ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अपने जन को तुरत उबारो।
सुमिरत होय आनन्द हमारो।।

यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कौन उबारै।।

पाठ करै बजरंग बाण की।
हनुमत रक्षा करै प्राण की।।

यह बजरंग बाण जो जापै।
ताते भूत प्रेत सब काँपै।।

धूप देय अरु जपै हमेशा।
ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

“दोहा”

” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै,
सदा धरैं उर ध्यान। “

” तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्घ करैं हनुमान।। “

Bajrang Baan Lyrics

Bajrang Baan Lyrics Pdf

बजरंग बाण पढने के फायदे ( Bajrang Baan Benefits )

इस स्तुति के शुरुआती दोहे के रूप में बजरंग बाण का प्रस्तावना किया जाता है। इसके बाद कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान जी के अद्भुत रूप, वीरता, शक्ति, और विशेषताओं का वर्णन किया है। इस स्तोत्र में भगवान राम के उपासक रामभक्त वीर बजरंगी के प्रति भी कृपाभाव से बात की गई है। आइये हम जानते है की बजरंग बाण स्तुति पढने के क्या फायदे है ।

  1. शारीरिक और मानसिक शक्ति के विकास में मदद: बजरंग बाण के पठन से भक्त के मन में एक ऊर्जा का संचार होता है जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  2. भय और अशांति के निवारण: बजरंग बाण के पठन से भय और अशांति का संक्षेप्त निवारण होता है। इससे व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है और वह जीवन के चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनता है।
  3. श्रेष्ठता का अनुभव: बजरंग बाण के पठन से भक्त को अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण का अनुभव होता है। यह उसे श्रेष्ठता की भावना को समझने और जीवन में उसे अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
  4. शत्रु नाश का अस्त्र: बजरंग बाण के पठन से व्यक्ति को शत्रु नाश के लिए एक अद्भुत अस्त्र का प्राप्त होता है। यह उसे बुराई से बचने और शत्रुओं के प्रति सक्रिय रूप से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
  5. आत्मविकास का साधना: बजरंग बाण के पठन से व्यक्ति को आत्मविकास का साधना करने के लिए उत्साह प्राप्त होता है। यह उसे अपने सार्वभौमिक उद्देश्य की प्रत्याशा के साथ जीवन को अनुभवने के लिए प्रेरित करता है।
  6. सुख समृद्धि आना: बजरंग बाण का नियमित रूप से लगन के साथ सच्चे मन से पाठ किया जाये तो हमारे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है ।
  7. रोग से मुक्ति : बजरंग बाण का पाठ हर मंगलवार को प्रातः काल में करने से हमे अनिश्चित रोग नही सताते है हनुमान जी स्वयं हमसे प्रसन्न रहते है वो हमारी रक्षा करते है।
  8. राहु से मुक्ति: बजरंग बाण का पाठ राहु काल में करने से और साथ में घी का दीपक जलाने से हमे राहु से मुक्ति मिलती है हमारे सभी कार्य रामभक्त हनुमान जी की कृपा से परिपूर्ण होते है ।

Bajrang Baan Lyrics Meaning In Hindi

बजरंग बाण याद तो सभी को हो जाता है परन्तु इस स्तुति का अर्थ बहुत ही कम लोग जानते है, आज के लेख में हम जानेंगे की Bajrang Baan lyrics का क्या अर्थ होता है। हम कोशिश करेंगे की आपको सरल से सरल शब्दों में पवनपुत्र के बजरंग बाण का अर्थ समझा पाए ।

दोहा”

“निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।”
“तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥”

अर्थ – जिस भी व्यक्ति के द्वारा रामभक्त हनुमान जी के लिए पूर्ण प्रेम और विनय के साथ आस्था रखता है, केसरी नंदन उस व्यक्ति के सभी कार्य शुभ और सफल करते है और उसपर कृपा बनाये रखते है।

“चौपाई”

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।

अर्थ – हे प्रभु हनुमान सैदेव संतो का हित कार्य करने वाले, प्रभु हमारी भी विनती को स्वीकार कीजिये, और जनसामन्य के कार्यो को भी जल्द से जल्द सिद्ध कीजिये तेज गति से आकर अपने भक्तो को सुख दीजिये।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

अर्थ – जैसे आपने बड़े बड़े समुद्र को पार कर दिया था और आप सुरसा राक्षसी के मुख से बहार आ गये थे और जैसे ही प्रभु आप लंका पहुचे और आपको वहाँ की प्रहरी लंकनी ने रोका था तो आपने उसे एक ही प्रहार में भगवान् के लोक में भेज दिया था।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।

अर्थ –  राम भक्त विभीषण को जिस प्रकार अपने सुख प्रदान किया , और माता सीता के कृपापात्र बनकर वह परम पद प्राप्त किया जो अत्यंत ही दुर्लभ है। कौतुक-कौतुक में आपने सारे बाग़ को ही उखाड़कर समुद्र में डुबो दिया एवं बाग़ रक्षकों को जिसको जैसा दंड उचित था वैसा दंड दिया ।

अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

अर्थ – जिस तरह आपने दशकंधर के पुत्र अक्षय कुमार का संहार किया था। और पूरी लंका को पूँछ से जला दिया था। किसी घास-फूस के छप्पर की तरह सम्पूर्ण लंका नगरी जल गयी आपका ऐसा कृत्य देखकर हर जगह आपकी जय जयकार हुयी।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।

अर्थ – हे स्वामी आप अब मुझ सेवक के कार्य में विलम्ब किस कारण कर रहे है, कृपा करके स्वामी आप मेरे कष्टों को हरीये, आप ही भगवान् लक्षम के प्राणों के दाता है जिस तरह आपने संजीवनी लायी थी जिस प्रकार आपने उनके प्राण बचाये थे उसी प्रकार इस दीन के दुखों का निवारण भी करो।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।

अर्थ –  हे योद्धाओं के नायक एवं सब प्रकार से समर्थ, पर्वत को धारण करने वाले एवं सुखों के सागर मुझ पर कृपा करो। हे हनुमंत – हे दुःख भंजन – हे हठीले हनुमंत मुझ पर कृपा करो और मेरे शत्रुओं को अपने वज्र से मारकर निस्तेज और निष्प्राण कर दो।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

अर्थ – हे प्रभु गदा और वज्र लेकर मेरे शत्रुओं का संहार करो और अपने इस दास को विपत्तियों से उबार लो हे प्रतिपालक मेरी करुण पुकार सुनकर हुंकार करके मेरी विपत्तियों और शत्रुओं को निस्तेज करते हुए मेरी रक्षा हेतु आओ , शीघ्र अपने अस्त्र-शस्त्र से शत्रुओं का निस्तारण कर मेरी रक्षा करो।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।

अर्थ – हे ह्रीं ह्रीं ह्रीं रूपी शक्तिशाली कपीश आप शक्ति को अत्यंत प्रिय हो और सदा उनके साथ उनकी सेवा में रहते हो , हुं हुं हुंकार रूपी प्रभु मेरे शत्रुओं के हृदय और मस्तक विदीर्ण कर दो हे दीनानाथ आपको श्री हरि की शपथ है मेरी विनती को पूर्ण करो – हे रामदूत मेरे शत्रुओं का और मेरी बाधाओं का विलय कर दो।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।

अर्थ – हे अगाध शक्तियों और कृपा के स्वामी आपकी सदा ही जय हो , आपके इस दास को किस अपराध का दंड मिल रहा है हे कृपा निधान आपका यह दास पूजा की विधि , जप का नियम , तपस्या की प्रक्रिया तथा आचार-विचार सम्बन्धी कोई भी ज्ञान नहीं रखता मुझ अज्ञानी दास का उद्धार करो।

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

अर्थ – आपकी कृपा का ही प्रभाव है कि जो आपकी शरण में है वह कभी भी किसी भी प्रकार के भय से भयभीत नहीं होता चाहे वह स्थल कोई जंगल हो अथवा सुन्दर उपवन चाहे घर हो अथवा कोई पर्वत हे प्रभु यह दास आपके चरणों में पड़ा हुआ हुआ है , हाथ जोड़कर आपके अपनी विपत्ति कह रहा हूँ , और इस ब्रह्माण्ड में भला कौन है जिससे अपनी विपत्ति का हाल कह रक्षा की गुहार लगाऊं।

जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

अर्थ – हे अनजानी पुत्र हे बालियों के बलि, शिव जी के अंश वीर राम लला हम पर कृपा करे रक्षा करे। हे प्रभु आपका शरीर अति विशाल है और आप साक्षात काल का भी नाश करने में समर्थ हैं , हे राम भक्त , राम के प्रिय आप सदा ही दीनों का पालन करने वाले हैं।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।

अर्थ – चाहे वह भूत हो अथवा प्रेत हो भले ही वह पिशाच या निशाचर हो या अगिया बेताल हो या फिर अन्य कोई भी हो हे प्रभु आपको आपके इष्ट भगवान राम की सौगंध है अविलम्ब ही इन सबका संहार कर दो और भक्त प्रतिपालक एवं राम-भक्त नाम की मर्यादा की आन रख लो।

जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

अर्थ – हे माता जनक के पुत्र श्री राम के भक्त आप उन्हें के दास है ना आपको उन्ही की सौगंध है की अब अपने इस भक्त के भी कार्य में विलम्ब मत कीजिये।आपकी जय-जयकार की ध्वनि सदा ही आकाश में होती रहती है और आपका सुमिरन करते ही दारुण दुखों का भी नाश हो जाता है।

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।

अर्थ – हे रामदूत अब मैं आपके चरणों की शरण में हूँ और हाथ जोड़ कर आपको मना रहा हूँ – ऐसे विपत्ति के अवसर पर आपके अतिरिक्त किससे अपना दुःख बखान करूँ हे करूणानिधि अब उठो और आपको भगवान राम की सौगंध है मैं आपसे हाथ जोड़कर एवं आपके चरणों में गिरकर अपनी विपत्ति नाश की प्रार्थना कर रहा हूँ।

ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अर्थ – हे चं वर्ण रूपी तीव्रातितीव्र वेग (वायु वेगी ) से चलने वाले, हे हनुमंत लला मेरी विपत्तियों का नाश करो हे हं वर्ण रूपी आपकी हाँक से ही समस्त दुष्ट जन ऐसे निस्तेज हो जाते हैं जैसे सूर्योदय के समय अंधकार सहम जाता है।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।

अर्थ – हे प्रभु आप सदा ही अपने इस दास की सहायता करें एवं तेज, प्रताप, बल एवं बुद्धि प्रदान करें। यह बजरंग बाण यदि किसी को मार दिया जाए तो फिर भला इस अखिल ब्रह्माण्ड में उबारने वाला कौन है।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।

अर्थ – जिस भी व्यक्ति द्वारा पूर्ण लगन से बजरंग बाण का पठन किया जाता है, राम भक्त हनुमान सदैव ही उनके प्राणों की रक्षा करते है। और जो भी व्यक्ति बजरंग बाण का बार बार पठान करता है उससे भूत प्रेत आदि कोसो दूर रहते है।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

अर्थ – जो भी धुप और दिए को जलाकर बजरंग बाण का पाठ करेगा उसके शरीर में कंभी किसी भी प्रकार का रोग नही जमेगा।

” दोहा

” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। “
” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। “

अर्थ – जिस भी व्यक्ति द्वारा पवन सुत को प्रेमपूर्वक और विश्वास के साथ स्मरण किया जायेगा और सदैव उन्हें महावीर का ध्यान रहेगा पवन सुत उनके कार्यो को अपनी कृपा से जल्द से जल्द सिद्ध करते है।

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