छत्तीसगढ़ राज्य के जी.पी.एम जिले के गौरेला शहर के अंदर 29 जून 2023 के दिन रेलवे ने रात्रि 8:00 बजे से सुबह के 10:00 बजे तक रेलवे फाटक बंद करके रेलवे ट्रैक मेंटेनेंस का कार्य किया उसी दौरान रेलवे ने रेलवे मेंटेनेंस का काम तो कर लिया परंतु ट्रैक झा से लोग गुजरते है वह पर बड़े-बड़े उबड खबड पत्थर रेलवे ट्रैक में लगा दिए गए जिसके कारण आने जाने वाले राहगीरों के लिए समस्याओं का पहाड़ खड़ा हो गया पत्थर इतने बड़े-बड़े हैं कि टू व्हीलर गाड़ी अपना कंट्रोल खो देती है महिलाएं जो स्कूटी में चलती हैं वह गिर भी जाती हैं ट्रैक में तीन लेने होने के वजह से ट्रेन के आने का भी खतरा बना रहता है रेलवे ट्रैक में इतने बड़े-बड़े पत्थर लगाया गया है की ट्रैक क्रॉसिंग करते समय दुर्घटना का डर बना रहता है कई बार स्कूटी चालक अपना कंट्रोल खोकर रेलवे ट्रैक में ही गिर जाते हैं
यदि कोई लेडिस या महिला स्कूटर से वहां से निकलती है तो उसका गिरना आम बात हो गई है वही गोरखपुर रेलवे फाटक झगराखाड धनौली करंगरा कोरजा पंडरीपानी को गौरेला शहर से जोड़ता है मरीज और प्रेग्नेंट महिला भी इसी मार्ग से हॉस्पिटल जाति है ऐसे में गोरखपुर फटाक से निकलना बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण देने के समान है और कोई दूसरा रास्ता भी गौरेला के लिए नहीं है लेकिन रेलवे के द्वारा लोगों की सुविधा को दरकिनार कर मौत का फाटक बना दिया गया है जिससे दूसरे ट्रेनों के आने का खतरा भी बना रहता है
गौरेला क्षेत्र के भी बड़े-बड़े नेता अधिकारी सबको इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है परंतु किसी ने भी रेलवे के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत नहीं समझी
रेलवे पिछले 3 महीने से बड़ी दुर्घटना होने का कर रही इंतजार
रेलवे के कर्मचारी और अधिकारियों सबको ज्ञात है कि यहां से गाड़ी निकालने में लोगों को समस्या हो रही है गेटमैन रोज किसी न किसी महिला को वाहन गिरते हुए देखाता है फिर भी रेलवे किसी बड़े दुर्घटना का इंतजार कर रही है जब तक किसी बेकसूर नागरिक की जान न चली जाए तब रेलवे की आंखें नहीं खुलेगी
गोरखपुर गौरेला रोड जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही का उप जेल भी इसी रास्ते में पड़ता है जहां से प्रतिदिन पुलिस के अधिकारी निर्वाचित जनप्रतिनिधि नेता सभी गुजरते हैं अपनी AC गाड़ी में गुजरने के कारण उनको आमजन की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है और ना ही कभी पता करके निवारण करने की कोशिश की है ना रेलवे और ना ही जिला प्रशासन किसी ने भी शहर की समस्या को अपनी समस्या समझने की जरूरत नहीं समझी और रेलवे के खिलाफ किसी ने भी आवाज नहीं उठाया बड़े रेल दुर्घटना के होने के बाद ही लोगों का गुस्सा फूटता है