सावन के महीने में अमरकंटक जाने वालों की भीड़ लगी रहती है भगवान शंकर के भक्त दूर-दूर से अमरकंटक की नगरी पर भगवान शंकर को जल चढ़ाने के लिए आते हैं जिस वजह से पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन में भगवान शंकर के भक्तों की भीड़ दिखाई दी बोल बम के जयघोष के साथ कावड़िए अमरकंटक जाने के लिए पेंड्रा रोड स्टेशन में पहुंचे अमरकंटक की वादियों में एक अलग ही सुकून का अनुभव है जो कोई भी मां नर्मदा के दर्शन के लिए आता है वह यहां की वादियों को देखते ही रह जाता है मां नर्मदा का मंदिर और फिर यहां से पैदल यात्री कपिलधारा के लिए प्रस्थान करते हैं वहां लगभग 500 फीट ऊपर से पानी झरने के रूप में गिरता है जो यहां आए हुए श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है और भी बहुत से जगह अमरकंटक में घूमने के लिए हैं जैसे सोनमुड़ा कपिलधारा दूध धारा माई की बगिया दिगंबर जैन मंदिर आदि जगहों पर श्रद्धालु पहुंचकर मां नर्मदा को लुप्त होते देखते हैं भारत देश में सबसे बड़ा जैन मंदिर अमरकंटक में अभी भी निर्माणाधीन है जैन मंदिर को देखने के लिए भी जैन श्रद्धालु बहुत बड़ी मात्रा में अमरकंटक पहुंचते हैं
छत्तीसगढ़ के जीपीएम जिले में पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन से मात्र 28 किलोमीटर दूर मां नर्मदा की पावन नगरी अमरकंटक स्थित है जहां श्रद्धालु मां नर्मदा के दर्शन करने के लिए जाते हैं अमरकंटक जाने का रास्ता बहुत ही सुंदर वादियों और झरनों से भरा हुआ है जो बरसात के मौसम में अत्यंत सुंदर प्रतीत होता है हजारों की संख्या में शिव भक्त मां नर्मदा का जल लेकर भगवान शंकर को अर्पण करते हैं मान्यता है कि सावन के महीने में मां नर्मदा का जल भगवान शंकर को अर्पण करके आप अपने मनोकामना की पूर्ति कर सकते हैं इसी श्रद्धा के साथ सावन के मांस में हजारों की संख्या में कांवड़िए कंवर यात्रा में अमरकंटक पहुंचते हैं यहां से प्रातः सुबह 5:00 बजे अमरकंटक मां नर्मदा का मंदिर खुलने के बाद स्नान करके मां नर्मदा का जल अपने कांवर में भरते हैं और यहां से नंगे पैर भगवान शंकर का नाम लेते हुए बोल बम के जयघोष के साथ कांवरिया भगवान शंकर के मंदिर जलेश्वर की तरफ प्रस्थान करते हैं कावड़ यात्रियों का यह मानना है कि मां नर्मदा का जन्म लेने के बाद जब तक वह भगवान शंकर को यह जल अर्पण ना कर दे कहीं भी रुकना पाप माना जाता है एक ही चाल में एक के पीछे एक सभी कावड़िए भगवान शंकर का नाम लेते हुए नंगे पैर जल स्तर की ओर प्रस्थान करते हैं जलेश्वर धाम पहुंचने के बाद भगवान जलेश्वर को जल चढ़ाने के लिए बहुत ही लंबी लाइन लगना पड़ता है जलेश्वर धाम में मंदिर प्रशासन की तरफ से सभी कांवरियों को भोजन की व्यवस्था भी कराई जाती है कावड़िए लाइन में लगकर भगवान शंकर को जल अर्पण करते हैं तत्पश्चात कुछ देर विश्राम करके भोजन ग्रहण करते हैं उसके पश्चात जो कावड़िया जितने दूर से आया है उस जगह के लिए यहां से प्रस्थान करता है अपने कांवर में मां नर्मदा का जल लेकर अपने आसपास के शंकर मंदिर में जल को चढ़ाते हुए आगे बढ़ता जाता है